हिन्दी का काव्य-जगत जिन लोकतान्त्रिक मूल्यों से, संविधान की कल्याणकारी भावना से कतराया-कतराया कला और सौन्दर्य लोक के गीत रच रहा था, अपना यथास्थितिवादी उपक्रम बनाये हुए महज़ कविता के लिए कविता रच रहा था, वहीं प्रो. कालीचरण स्नेही की कविताएँ भारतीय संविधान के जनक बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर और भारतीय संविधान की प्रस्तावना की वैचारिकी को ध्यान में रखकर लिखी गयी हैं। एक तरह से देखा जाये तो बाबा साहब द्वारा रचित भारतीय संविधान की प्रस्तावना दलित साहित्य की बुनियाद है। इसी बुनियाद पर प्रो. कालीचरण स्नेही की कविताएँ नये समाज निर्माण की ओर आगे बढ़ रही हैं।
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Title | Pratinidhi Kavitayen | Height | |
Author | Kalicharan Snehi | Width | |
ISBN-13 | 9789390678426 | Binding | Paperback |
ISBN-10 | 9390678426 | Spine Width | |
Publisher | Vani Prakashan | Pages | |
Edition | Availability | In Stock |